बीमारियां
आइये चलिए जानते है HIV संक्रमण किस तरह से AIDS (एड्स) में बदलता है :
HIV कैसे नहीं फैलता है?
1. आक्रमण (INVASION)
What is HIV/AIDS: causes, symptoms, life cycle and more in hindi
एचआईवी क्या है? ; What is hiv?
- HIV (एचआईवी) का पूरा नाम ह्यूमन इम्यूनोडेफीशिएंसी वायरस है। यह एक लेन्टीवायरस (रेट्रो वायरस परिवार का सदस्य) है। दरअसल वैज्ञानिकों ने सभी प्रकार के वायरस को श्रेणियों (समूह/ परिवार) में बांटा है ताकि इनका अध्ययन आसानी से किया जा सके। वायरस के प्रत्येक समूह/ परिवार में कई उपसमूह होते है।
- HIV (एचआईवी) एक प्रकार का वायरस है जो हमारे प्रतिरक्षा तंत्र (Immune system) को क्षति (Damage) पहुँचाता है।
- HIV (एचआईवी) हमारे शरीर की प्रतिरक्षी कोशिकाओं (Immune cells) को नष्ट कर देती है। जैसे - CD4 कोशिका
एड्स क्या है? ; What is aids?
- AIDS (एड्स) का पूरा नाम अक्वायर्ड इम्यूनोडेफीशिएंसी सिंड्रोम है। जो की HIV वायरस के कारण होती है।
- HIV वायरस हमारे शरीर की T helper cells (CD4 कोशिकाओं) को नष्ट करने लगता है, इसमें व्यक्ति के प्रतिरक्षा तंत्र (Immune system) को गंभीर नुक्सान पहुँचता है।
- आमतौर पर स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में T helper cells (CD4 कोशिकाओं) की संख्या खून के प्रत्येक क्यूबिक मिलीमीटर में 500-1200 के आसपास होती है लेकिन एड्स से ग्रसित रोगी में यह संख्या घटकर 200 के पास पहुंच जाती है।
- किसी व्यक्ति का HIV पॉजिटिव होने का यह मतलब कभी नहीं है की उसे एड्स है। क्योंकि एड्स, HIV के संक्रमण की तीसरा (सबसे अंतिम) चरण है। हाँ, लेकिन अगर HIV संक्रमण का इलाज समय पर नहीं किया जाये तो वह आगे चलकर एड्स का रूप ले सकता है।
PHASES OF HIV/ AIDS (एचआईवी/ एड्स के चरण)
चरण 1 : तीव्र संक्रमण अवस्था (Acute infection stage)
अधिकांश लोगो में HIV से संक्रमित होने पर 2 से 6 सप्ताह के भीतर लक्षण दिखाई देने लगते है। ये लक्षण अन्य वायरल बीमारियों के सामान ही होते है (जैसे की फ्लू) और एक से दो सप्ताह के बाद लक्षण खत्म भी हो जाते है। लेकिन केवल इन लक्षणों के आधार पर HIV का पता (Diagnose) नहीं लगाया जा सकता है।
चरण 2 : क्लीनिकल लेटेंसी/ क्रोनिक एचआईवी अवस्था/ असिम्पटोमैटिक अवस्था (Clinical latency/ chronic HIV stage/ Asymptomatic stage)
कुछ समय बाद हमारा प्रतिरक्षा तंत्र (Immune system) कमजोर होने लगता है और HIV वायरस से नहीं लग पाता है। जिसके कारण हमारे शरीर में कोई भी फ्लू जैसे लक्षण दिखने बंद हो जाते है। हालाँकि तब भी वायरस हमारे शरीर में सक्रीय (Active) रहता है और अपनी संख्या बढ़ाता रहता है। {लेटेंसी = शांत या छुपी अवस्था, क्योंकि इस चरण में कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते है} {क्रोनिक = आक्रामक अवस्था, क्योंकि इस चरण में वायरस अपनी संख्या बढ़ता रहता है} {असिम्पटोमैटिक अवस्था = लक्षण दिखाई नहीं देना}
चरण 3 : एड्स (AIDS)
एड्स, HIV संक्रमण का सबसे अंतिम चरण है। इसमें हमारे शरीर की प्रतिरक्षी कोशिकाओं (CD4 or T-cells) की संख्या घटकर 200 से भी कम रह जाती है, जिससे अवसरवादी संक्रमण (Opportunistic infection) होने का खतरा बढ़ जाता है। {अवसरवादी संक्रमण = शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र पूरी तरह कमजोर होने पर कोई भी संक्रमण आसानी से हो जाता है जैसे - कापोसी सार्कोमा, न्यूमोसिस्टिक न्युमोनिया आदि }
CAUSE & RISK FACTORS OF HIV/ AIDS (एचआईवी/ एड्स के कारण व जोखिम कारक)
किसी व्यक्ति में एड्स होने के लिए HIV वायरस उत्तरदायी होता है, इसलिए उन कारणों पर नज़र डालते है जिसके कारण HIV होने के खतरे बढ़ जाते है :
- असुरक्षित यौन संबंध द्वारा (By unsecure sex) - यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ यौन संपर्क बनाते है जो पहले से ही HIV पॉजिटिव है, तो उससे आपको HIV वोने का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि HIV वायरस सैक्स के दौरान वीर्य (Semen), रक्त स्त्राव (Bleedind) के द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फ़ैल सकता है।
- संक्रमित रक्त के संचरण द्वारा (Blood transfusion) - यदि कभी अनजाने में किसी व्यक्ति को संक्रमित (Infected) रक्त चढाने से यह वायरस स्वस्थ व्यक्ति में फ़ैल सकता है।
- सुइयों के साझा प्रयोग द्वारा (By sharing needles) - यदि किसी संक्रमित व्यक्ति (Infected person) पर इस्तेमाल की गयी सुई का प्रयोग किसी दूसरे स्वस्थ व्यक्ति पर वापस करने से वायरस फ़ैल सकता है।
- गर्भावस्था,प्रसव या स्तनपान के दौरान (During pregnancy or delivery or through breast-feeding) - गर्भावस्था के दौरान माँ से शिशु में वायरस फ़ैल सकता है। प्रसव के दौरान कुछ मात्रा में रक्त स्त्राव (Bleeding) और स्तनपान के दौरान माँ के दूध से बच्चे में यह वायरस फ़ैल सकता है।
HIV वायरस केवल शरीर के कुछ तरल पदार्थो (Body fluids) के आदान-प्रदान से फ़ैल सकता है। लेकिन फिर भी शरीर के कुछ तरल पदार्थ ऐसे है जिसके आदान प्रदान से भी HIV नहीं फैलता है, जैसे किसिंग के दौरान मुँह की लार (Saliva) से, पसीने से, यूरिन से और मल (Feces) से HIV नहीं फैलता है।
नीचे कुछ ऐसे ही कारण दिए गए जिससे HIV नहीं फैलता है :
- किसिंग से
- HIV संक्रमित व्यक्ति के चीखने, खांसने से
- हाथ मिलाने से
- साथ बैठ कर खाने-पीने से
- पसीने से
- सूखे खून या वीर्य के से
SIGN & SYMPTOMS OF HIV/ AIDS (एचआईवी/ एड्स के लक्षण)
अधिकांश लोगो में HIV संक्रमण की शुरआत में 2 से 6 सप्ताह के भीतर फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देने लगते है, इसके बाद ऐसा हो सकता है की कई सालो तक इसके कोई भी लक्षण दिखाई न दे।
एड्स के शुरआती लक्षण निम्न है, लेकिन शुरआती लक्षणों के आधार पर यह नहीं बताया जा सकता की कोई व्यक्ति HIV पॉजिटिव है।
- बुखार आना (Fever)
- थकान महसूस होना (Fatigue)
- लिम्फ नॉड्स में सूजन आना (Swollen lymph nodes)
- गले में खराश (sore throat)
- जोड़ो व मांशपेशियों में दर्द होना (Joint & muscle pain)
- शरीर पर चकत्ते बनना (Rashes)
- मुँह में छाले होना (Ulcer in mouth)
- रात में पसीना आना (Night sweating)
HIV के तीसरे चरण में (जब व्यक्ति AIDS से ग्रसित हो चूका होता है) निम्न लक्षण देखे जा सकते है :
- तेजी से वजन घटना (Severe weight loss)
- रात में ठंड लगना और पसीना आना (Chill & sweating in night)
- सांस लेने में समस्या और बार-बार कफ आना (Difficulty breathing & Coughing)
- तेज बुखार आना (High fever)
- हमेशा थकान महसूस होना (Fatigue)
- कुछ दूसरे संक्रमण बार-बार होना
- अन्य जानलेवा बीमारी होना (न्युमोनिया, कापोसी सार्कोमा)
STRUCTURE OF HIV (एचआईवी की सरंचना)
- HIV वायरस की सबसे बाहरी परत (Layer) को Viral Envelop कहा जाता है जो Phospholipid से बनी होती है।
- Viral Envelop पर प्रोटीन से बने कांटे (Spikes) धंसे रहते है जिन्हे गल्याकोप्रोटीन (Glycoprotein) gp120 और gp41 कहते है। ये दोनों प्रोटीन ही वायरस को होस्ट सेल (हमारी सेल) से जुड़ने में मदद करती है।
- वायरस की बाहरी परत (Viral Envelop) के नीचे मैट्रिक्स प्रोटीन p17 (Matrix protein p17) और कोर प्रोटीन p24 (Core protein p24) होती है। कोर प्रोटीन को कैप्सिड प्रोटीन (Capsid protein) भी कहा जाता है।
- वायरस के कोर में दो सिंगल स्ट्रैंड आरएनए (single strand RNA; ssRNA), दो रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज (Reverse transcriptase) एंजाइम होते है जो RNA से जुड़े रहते है।
- साथ ही वायरस के कोर में दो और एंजाइम होते है जिनका नाम इंटिग्रेज (Integrase) और प्रोटीऐज (Protease) है।
LIFE CYCLE OF HIV/ AIDS (एचआईवी/ एड्स का जीवन चक्र)
HIV वायरस के शरीर में प्रवेश से लेकर दूसरे नए वायरस के निर्माण की प्रक्रिया को इसका जीवन चक्र कहते है।
आमतौर पर हमारा शरीर नई Skin cells और Immune cells का निर्माण करता रहता है और हर सेल्स (कोशिका) नए प्रोटीन का निर्माण करती है। प्रोटीन निर्माण के इसी सिलसिले के बीच वायरस अपना प्रोटीन हमारी सेल्स में दाखिल कर देता है जिससे हमारी कोशिका अनजाने में वायरस के प्रोटीन का भी निर्माण कर देती है।
HIV वायरस हमारे शरीर की सभी सेल्स (कोशिकाओं) को प्रभावित (Affected) करता है लेकिन खासतौर पर Immune cells को ज्यादा प्रभावित करता है।
Immune cells पर एक ख़ास तरह के प्रोटीन से बने Receptor होते है, जिन्हे CD4 Receptors कहते है। HIV वायरस इन्ही CD4 Receptors की मदद से हमारी Immune cells की सतह पर आकर जुड़ता है।
चलिए HIV के जीवन चक्र के बारे में जानते है, HIV के जीवन चक्र में निम्न अवस्थाये (Phases) आती है:
1. आक्रमण (INVASION)
2. रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन (REVERSE TRANSCRIPTION)
3. एकीकरण (INTEGRATION)
4. ट्रांसक्रिप्शन (TRANSCRIPTION)
5. ट्रांसलेशन (TRANSLATION)
6.परिपक्वन (MATURATION)
1. आक्रमण (INVASION/ BINDING)
HIV वायरस के बाहरी सतह (Shell) पर प्रोटीन से बने Receptors होते है जो हमारे शरीर की T4 Cell (जो की WBC का एक प्रकार है) के CD4 Receptors से जाकर जुड़ जाते है। एक बार HIV वायरस हमारे T4 Cell से जुड़ जाता है तो HIV की सतह पर उपस्थित दूसरे प्रोटीन Activate हो जाते है और हमारे T4 Cell के अंदर घुसने में मदद है।
2. रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन (REVERSE TRANSCRIPTION)
- ट्रांसक्रिप्शन एक प्रक्रिया है जिसकी मदद से DNA को RNA में बदला जाता है
- वही रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन एक प्रक्रिया है जिसकी मदद से RNA को DNA में बदला जाता है
क्योंकि हमारे सेल्स (कोशिकाओं) में DNA होता है इसीलिए HIV वायरस को अपने RNA को DNA में बदलने के लिए रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन का सहारा लेना पड़ता है।
रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन प्रक्रिया को चलाने के लिए HIV वायरस को एक एंजाइम (Enzyme) की जरूरत होती है जिसे रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज कहते है। यह एंजाइम पहले से ही HIV वायरस में उपस्थित होता है।
रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन प्रक्रिया द्वारा बने नए DNA को प्रोवायरल डीएनए (Proviral DNA) कहते है।
3. एकीकरण (INTEGRATION)
अब HIV वायरस के इस नए DNA (Proviral DNA) को होस्ट सेल (हमारी कोशिका) के केंद्रक (Nucleus) में ले जाया जाता है। जहाँ हमारी सेल्स (Host cells) का DNA रहता है।
होस्ट सेल के केंद्रक (Nucleus) के अंदर पहुंचने के बाद HIV वायरस का DNA (Proviral DNA) एक दूसरे एंजाइम की मदद से होस्ट सेल के DNA के साथ जुड़ (Integrate) जाता है। इस दूसरे एंजाइम का नाम इंटिग्रेज (Integrase) होता है।
4. ट्रांसक्रिप्शन (TRANSCRIPTION)
- ट्रांसक्रिप्शन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसकी मदद से हमारी सेल के DNA को messenger RNA (mRNA) में बदला जाता है।
- messenger RNA एक तरह से RNA का ही एक प्रकार है। आगे चलकर इसी mRNA से प्रोटीन का निर्माण होता है।
एक बार जब HIV वायरस का DNA होस्ट सेल के DNA से जुड़ जाता है तब होस्ट की सेल (हमारी सेल) अनजाने में ट्रांसक्रिप्शन की मदद से हमारे DNA को mRNA में बदलने के साथ-साथ वायरस के DNA को भी mRNA में बदल देती है।
5. ट्रांसलेशन (TRANSLATION)
ट्रांसलेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसकी की मदद से mRNA को प्रोटीन में बदला जाता है।
होस्ट सेल में बने इस Viral mRNA के पास वायरल प्रोटीन बनाने की सूचना होती है। Viral mRNA होस्ट सेल के केन्द्रक (Nucleus) से बाहर कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) में चला जाता है जहाँ ट्रांसलेशन की प्रक्रिया द्वारा Viral mRNA से प्रोटीन की एक लंबी चैन का निर्माण होता है।
6. परिपक्वन (MATURATION)
जब वायरल प्रोटीन का निर्माण हो जाता है तो इस लंबे प्रोटीन चैन को प्रोटीऐज (Protease) एंजाइम की मदद सेे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट दिया जाता है। इस वायरल प्रोटीन के प्रत्येक टुकड़े (Part) से वायरस के अलग-अलग भागो का निर्माण होता है। जैसे Capsid, Matrix आदि।
एक बार जब वायरल प्रोटीन बन जाती है तो यह होस्ट सेल से निकलकर नए वायरस के ढांचे में चली जाती है। ये वायरस के ढांचे होस्ट सेल पर बड (Bud) के रूप में दिखाई देते है।
इसके बाद ये नए बने वायरस होस्ट सेल से अलग हो जाते है और नए T4 cell को संक्रमित करते है।
ASSESSMENT & DIAGNOSIS OF HIV/ AIDS (एचआईवी/ एड्स के परिक्षण व निदान)
HIV की परिक्षण (जाँच) के लिए शरीर में उपस्थित एंटीबॉडी की जांच की जाती है। लेकिन HIV के संक्रमण के शुरआती दिनों में शरीर में एंटीबाडी का उत्पादन नहीं होता है।
HIV/ AIDS के लिए निम्न परिक्षण किये जाते है :
1. एलिजा टेस्ट (ELISA TEST)
इसका पूरा नाम एंजाइम लिंक्ड इम्यूनो सोर्बेट ऐसे टेस्ट है। यदि रोगी एक बार एलिजा पॉजिटिव आ जाता है तो बाद में वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट किया जाता है। क्योंकि यह टेस्ट HIV संक्रमण के शुरआती दिनों में पक्के रिज़ल्ट नहीं दे पाता है इसलिए रिज़ल्ट की पुष्टि करने के लिए वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट किया जाता है।
लेकिन यह टेस्ट HIV क्रोनिक अवस्था (Chronic phasse) में पक्के रिजल्ट देता है।
2. वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट (WESTERN BLOT TEST)
HIV का पक्का पता लगाने के लिए यह टेस्ट किया जाता है।
3. सलाइवा टेस्ट (SALIVA TEST)
इसमें एक कॉटन पैड को गालो (Cheeks) के अंदर डालकर सलाइवा को लिया जाता है। बाद में इसे एक वायल (Vial) में डालकर लैब में जांच के लिए भेजा जाता है।
4. वायरल लोड टेस्ट (VIRAL LOAD TEST)
इस टेस्ट की मदद से शरीर में HIV की मात्रा को मापा जाता है।
5. घरेलू टेस्ट (HOME TEST)
यह टेस्ट अमेरिकी फ़ूड और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा स्वीकृत (Approved) किया गया केवल एकमात्र घरेलु परिक्षण टेस्ट किट है। टेस्ट पॉजिटिव आने पर बाकी के टेस्ट किये जाते है।
MANAGEMENT &TREATMENT OF HIV/ AIDS (एचआईवी/ एड्स का उपचार)
क्योंकि अभी तक HIV का कोई पक्का इलाज नहीं है इसीलिए रोगी को ऐसी दवाएं है जो कुछ हद तक रोगी को HIV से लड़ने में मदद करती है।
1. न्यूक्लिओसाइड रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज़ इनहिबिटर (Nucleoside Reverse Transcriptase Inhibitors; NRTIs)
ये दवाएं (Medicines) रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज़ एंजाइम से जुड़कर रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन प्रक्रिया को रोकती है जिससे वायरस अपने RNA को DNA में नहीं बदल पाता।
- जीडोवुडीन (Zidovudine)
- लेमीवुडीन (Lamivudine)
- स्टेवुडीन (Stavudine)
- डीडेनोसाइन (Didanosine)
- एबेकेवीर सल्फ़ेट (Abacavir sulfate)
- एबेकेवीर (Abacavir)
2. नॉन न्यूक्लिओसाइड रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज़ इनहिबिटर (Non Nucleoside Reverse Transcriptase Inhibitors; NNRTIs)
ये दवाएं (Medicines) भी रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन प्रक्रिया को रोकती है।
- नेवीरापाइन (Nevirapine)
- डेलावीराडाइन (Delavirdine)
- ऐफावीरेंज़ (Efavirenz)
- ऐट्रावीराइन (Etravirine)
3. प्रोटीएज़ इनहिबिटर (Protease Inhibitor; PI)
ये दवाएं (Medicines) प्रोटीऐज एंजाइम के काम को रोकती (Inhibit) करती है।
- अताजनावीर (Atazanavir)
- डेरुनावीर (Darunavir)
- इंडिनावीर (Indinavir)
- रिटोनावीर (Ritonavir)
- नेल्फीनावीर (Nelfinavir)
4. इंटिग्रेज इनहिबिटर (Integrase Inhibitor; II)
ये दवाएं इंटिग्रेज एंजाइम से जुड़कर उसके काम को रोकती है।
- राल्टेग्रावीर (Raltegravir)
- डोलूटेग्रावीर (Dolutegravir)
5. फ़्यूजन इनहिबिटर (Fusion Inhibitor; FI)
ये दवाएं HIV को होस्ट की सेल से जुड़ने (Fuse) से रोकती है।
- एनफ्यूवीरटाइड (Enfuvirtide)
6. हाइली एक्टिव एंटीरेट्रोवायरल थैरेपी (Highly Active Antiretroviral Therapy; HAART)
इसमें तीन या तीन से अधिक दवाओं का मिश्रण (Combination) होता है। यह दवाएं कई हद तक वायरस की मात्रा को कम कर देती है।
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