Diabetes Mellitus in Hindi: Detailed Analysis

Diabetes Mellitus in Hindi

Diabetes Mellitus in Hindi also known as मधुमेह। यह उपापचयी प्रक्रिया संबंधी विकार है। 


डायबिटीज मेलिटस क्या हैं? - What is Diabetes Mellitus in Hindi


डायबिटीज मेलिटस को डायबिटीज भी कहा जाता है। जब आप कार्बोहायड्रेट खाते है तो यह पचने के बाद शुगर में बदल जाता है जिसे ग्लूकोस कहते है जो बाद में हमारे रक्त में बहने लगता है। पेनक्रिआज (Pancrease) इन्सुलिन हार्मोन उत्सर्जित करता है जिससे रक्त में पड़े ग्लूकोस को कोशिकाओं (Cells) द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है, जिससे हमारे शरीर के लिए आवश्यक ऊर्जा (Energy) का निर्माण होता है।
यदि किसी कारण से पेनक्रिआज इन्सुलिन बनाना बंद कर दे तो अब यह ग्लूकोज़ रक्त में ही रह जायेगा जिससे रक्त में शर्करा की मात्रा (Blood suger level) बढ़ने लगेगी। ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ने को ही डायबिटीज मेलिटस कहा जाता है। 

डायबिटीज मेलिटस के प्रकार - Types of Diabetes Mellitus in Hindi


मुख्य रूप से डायबिटीज के 3 प्रकार है, जिसमे Type 1Type 2 और Gestational diabetes शामिल है। 

1. Type 1 diabetes
  • इसे insulin-dependent डायबिटीज भी कहा जाता है। 
  • इस प्रकार की डायबिटीज स्वप्रतिरक्षा दोष (Autoimmune defect) के कारण होती है। हमारे शरीर की प्रतिरक्षा कोशिकाएं (Immune cell) हमारे पेनक्रिआज की बीटा-सेल्स (beta cells) को ही नष्ट करने लगती है, जिससे इन्सुलिन बनना बंद हो जाता है। 
  • इस प्रकार की समस्या हमारे जीन (Gene) में दोष (Defect) के कारण या पेनक्रिआज की इन्सुलिन बनाने वाली कोशिकाओं में किसी प्रकार की समस्या के कारण हो सकती है। 
2. Type 2 diabetes 
  • इसे non-insulin-dependent और adult-onset डायबिटीज कहा जाता है लेकिन फिर भी अपने नाम के विपरीत यह छोटे बच्चों और किशोर बालको में हो सकती है।    
  • साथ ही इस प्रकार की डायबिटीज उन लोगो में ज्यादा होती है जो ज्यादा मोटे है। 
  • इस डायबिटीज में पेनक्रिआज इन्सुलिन बनाता है लेकिन इसकी मात्रा बहुत कम होती है। 
  • लगभग 90% लोगों में Type 2 डायबिटीज पायी जाती है। 
3. Gestational Diabetes Mellitus
  • गर्भावस्था (Pregnancy) के दौरान इन्सुलिन बनने की मात्रा में कमी आ सकती है जिसके कारण डायबिटीज हो सकती है, इसे Gestational diabetes कहते हैं। 
  • जिन महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान इस प्रकार की डायबिटीज होती है उनकी संख्या लगभग 2-10% होती है.
  • जिन महिलाओं में Gestational diabetes के लक्षण उत्पन्न होते है उन्हें हफ्ते या साल भर बाद टाइप-2 प्रकार की डायबिटीज भी हो जाती है। 

डायबिटीज का रोगजनन - Pathophysiology of Diabetes Mellitus in Hindi 


हर प्रकार की डायबिटीज अलग-अलग कारण से होती है। 

1. Type 1 Diabetes Mellitus

जीन में दोष होना
 ↓
प्रतिरक्षी कोशिकाओं (immune cells) द्वारा बीटा कोशिकाओं पर हमला 
     
beta-cells का नष्ट होना 
 ↓ 
इन्सुलिन का उत्पादन (Production) नहीं होना
 ↓
ग्लूकोस का ब्लड में ही रहना, जिससे बाद में धीरे-धीरे ग्लूकोस की मात्रा का बढ़ना
 
 Type 1 diabetes mellitus
  • जब रक्त मे ग्लूकोस की मात्रा अधिक हो जाती है तो यह ग्लूकोस यूरिन के रास्ते शरीर से बाहर आने लगता है। इस स्थिति में रक्त में अधिक मात्रा में पड़े ग्लूकोस को बाहर निकालने के लिए अधिक यूरिन आता है। इस स्थिति को Polyuria कहा जाता है। 
  • इन्सुलिन की कमी की वजह से रक्त में पड़े ग्लूकोस को कोशिकाओं (Cells) द्वारा ग्रहीत नही किया जाता है। ऐसी स्थिति में शरीर मे ऊर्जा (Energy) की कमी को पूरा करने के लिए ऊर्जा के स्रोत (Source of energy) के रूप के वसा (Fat) का उपयोग किया जाता है।
  • जब कोशिकाओं द्वारा वसा (Fat) का उपयोग किया जाता है तब उससे उपोत्पाद (Byproduct) के रूप में ketone body बनने लगती है, जो यूरिन के साथ बाहर आती है।

2. Type 2 Diabetes Mellitus

  • पेनक्रिआज की बीटा सेल द्वारा इन्सुलिन का स्त्रवण नहीं होता या बहुत कम होता है। 
  • इससे बहुत कम इन्सुलिन अपने रिसेप्टर्स से जुड़ पाता है। (जिससे कम मात्रा में इन्सुलिन सेल के अंदर जाता है जिससे फैट टूटने से बच जाती है और कीटोन बॉडी नहीं बनती है) 
  • रक्त में इन्सुलिन की मात्रा सामान्य से अधिक होने लगती है। 
  • रोगी में डायबिटीज के लक्षण दिखाई देते है। 

3. Gestational Diabetes Mellitus

  • गर्भावस्ता के दौरान प्लेसेंटा से स्त्रावित होने वाले कुछ हार्मोन (Cortisol, Human placental lactogen) इन्सुलिन के लिए प्रतिरोध (Resistance) उत्पन्न करते है।
  • जिससे ब्लड में ग्लूकोज़ का लेवल बढ़ने लगता है।   

    कारण व जोखिम कारक - Causes & Risk factors Diabetes Mellitus in Hindi


    अभी तक डायबिटीज के होने का कोई कारण पता नहीं चल सका हैं, लेकिन कुछ जोखिम कारक है जिनसे डायबिटीज हो सकती हैं। 

    Type 1 Diabetes Mellitus

    • आनुवंशिकता (Genetics) - टाइप 1 डायबिटीज के होने के लिए जेनेटिक्स एक जोखिम कारक हो सकता है। 
    • पर्यावरणीय कारक (Environmental factors) - कुछ पर्यावरणीय कारकों जैसे वायरस के संपर्क में आने से बीटा कोशिकाओं का विनाश हो सकता है। 

    Type 2 Diabetes Mellitus

    • वजन (Weight) - ज्यादा वजन और मोटापे से टाइप डायबिटीज हो सकती है क्योंकि यह इन्सुलिन के बनने में बाधा उत्पन्न कर सकता हैं। 
    • आरामदायक जीवनशैली (Sedentary life style) - आरामदायक जीवनशैली और व्यायाम की कमी के कारण शरीर में इन्सुलिन बनने में कमी आ सकती है।  

    Gestational Diabetes Mellitus

    • वजन (Weight) - जो महिलाएं गर्भावस्था से पहले अधिक वजन वाली हैं और जिन्होंने अतिरिक्त वजन जोड़ा है, उनके शरीर के लिए इंसुलिन का उपयोग करना कठिन हो जाता है। 
    • आनुवंशिकता (Genetics) - यदि किसी महिला के माता-पिता और भाई-बहन में से किसी को टाइप-2 प्रकार की डायबिटीज है तो उन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान यह GDM होने की सबसे अधिक संभावना होती हैं। 

    डायबिटीज के लक्षण - Sign & Symptoms of Diabetes Mellitus in Hindi


    • अधिक यूरिन आना (Polyuria or Increased urination) - अधिक यूरिन आने का कारण रक्त में उपस्थित ज्यादा से ज्यादा इन्सुलिन को शरीर से बाहर निकालना है जिसके कारण सामान्य से ज्यादा यूरिन आता है। 
    • अधिक प्यास लगना (Polydipsia or increased thirst) - यूरिन ज्यादा मात्रा में आने से शरीर में पानी की कमी होने लगती है जिसके कारण ज्यादा प्यास लगती है। 
    • अधिक भूख लगना (Polyphagia or increased appetite) - हालाँकि अधिक भूख लगने के कारण व्यक्ति ज्यादा खाना खाता है लेकिन फिर भी बनने वाला ग्लूकोज़ कोशिकाओं के अंदर नहीं जा पाता है। 
    • थकान (Fatigue and weakness) - कोशिकाओं को ग्लूकोज़ न मिलने से थकान होती है। 
    • दृष्टि में बदलाव (Sudden vision changes) - पोलीयूरिआ के कारण ब्लड में तरल (Fluid) की कमी होने लगती है जिसकी भरपाई करने के लिए आखों में उपस्थित तरल को भी रक्त में खींच लिया जाता है, जिससे देखने में परेशानी होती है। 
    • हाथ-पैर सुन्न होना (Tingling or numbness in hands or feet) - कोशिकाओं में ग्लूकोज़ की कमी के कारण। 
    • ड्राई स्किन (Dry skin) - पोलीयूरिआ के कारण शरीर में तरल (Fluid) की कमी हो जाती है जिससे त्वचा ड्राई होने लगती है। 
    • त्वचा पर घाव और भरने में देरी (Skin lesions or wounds that are slow to heal) - ग्लूकोज़ कोशिका में नहीं जा पाता जिसके कारण वह ब्लड में ही रहता है। जब चोट लगती है तो घाव भरने के लिए चोट वाली जगह पर WBC जमा नहीं हो पाती क्योंकि उनके रस्ते में ग्लूकोज़ रूकावट पैदा करता है। 
    • संक्रमण का बने रहना (Recurrent infections) - रक्त में ग्लूकोज़ की अधिकता के कारण घाव वाले स्थान पर बैक्टीरिया आसानी से पनपते है। 


    डायबिटीज से बचाव - Prevention of Diabetes in Hindi


    टाइप 1 डायबिटीज़ का बचाव नहीं किया जा सकता क्योंकि यह प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्या के कारण होती है। लेकिन अन्य प्रकार की डायबिटीज से बचाव उनके जोखिम कारकों से बचाव करके या उन्हें कम करके किया जा सकता है।

    कुछ उपाय है जिन्हें अपनाकर आप टाइप 2 डायबिटीज से बचाव कर सकते है:
    • प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट तक ऐसे व्यायाम करें जो आपकी दिल के धड़कन की गति को बढ़ाए। जैसे - तेज चलना, साइकिलिंग, स्विमिंग, आदि।
    • अपने भोजन में ट्रांस फैट और सैचुरेटेड फैट का इस्तेमाल ना करे। 
    • अपने भोजन में फल, सब्जियों और साबुत अनाज (whole grain) का इस्तेमाल करे।
    • स्वस्थ शारीरिक भार (healthy body weight) को बनाये रखे।
    • दिन में 7-8 लीटर पानी पिये।
    • अपने भोजन से रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और शुगर का इस्तेमाल करने से बचे या कम करे।

    डायबिटीज से होने वाले जोखिम - Complications of Diabetes Mellitus in Hindi


    यदि डायबिटीज मेलिटस का समय पर उपचार न किया जाये तो निम्न जोखिम हो सकते है:
    • हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) - हाइपोग्लाइसीमिया तब होता है जब बहुत अधिक इंसुलिन, बहुत कम भोजन, या अत्यधिक शारीरिक गतिविधि के कारण रक्त शर्करा (Blood suger) की मात्रा 50 से 60 ml/dl से कम हो जाता है।
    • डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (Diabetic Ketoacidosis) - यह तब होती है जब आपकी कोशिकाएं ब्लड में पड़े ग्लूकोज़ का उपयोग नहीं कर पाती है। इसलिए शरीर को मजबूरन फैट को तोड़कर आवश्यक ऊर्जा बनानी पड़ती है, लेकिन जब फैट टूटती है तो उसके साथ कीटोन बॉडी का भी निर्माण होता है। ये कीटोन बॉडी शरीर में अधिक बनने लगे तो ये शरीर के लिए घातक भी हो सकते है। 
    • न्यूरोपेथी (Neuropathy) - रक्त में ज्यादा मात्रा में शुगर (ग्लूकोज़) होने पर वह आपके तंत्रिकाओं (Nerves) को डैमेज कर सकती है। इससे हाथ-पैर में झनझनाहट (tingling), सुनापन (numbness), दर्द या जलन (burning sensation) महसूस हो सकती है।
    • डायबिटिक किडनी रोग (Diabetic kidney disease) - ज्यादा समय तक ब्लड शुगर लेवल अधिक रहना किडनी के फ़िल्टर करने की क्षमता पर असर डाल सकता है। अगर इसका सही समय पर इलाज नहीं किया जाये तो रोगी को डायलिसिस पर आना पड़ सकता है।
    • हाइपरग्लाइसेमिक हाइपरसोमोलर नॉनकेटोटिक सिंड्रोम (Hyperglycemic Hyperosmolar Nonketotic Syndrome) - इसमें शरीर में शुगर का स्तर बहुत बढ़ जाता है लेकिन शरीर में कोई कीटोन बॉडी नहीं बनती या (डायबिटिक कीटोएसिडोसिस के मुकाबले) बहुत ही कम बनती है । यह समस्या मुख्य रूप  टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों में देखने को मिलती है।    

    डायबिटीज का निदान/परिक्षण - Assessment & Diagnosis of Diabetes Mellitus in Hindi


    • Glycosylated hemoglobin (HbA1C) - इस परिक्षण में मापा जाता है कि पिछले दो से तीन महीनों में आपके शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) से ग्लूकोज कितना जुड़ा हुआ है।
    Result: 5.7 % से कम  सामान्य (Normal)
    Result: 5.7 और 6.4 %  के बीच  प्रीडायबिटिक
    Result: 6.5 % या इससे अधिक  डायबिटीज 
    • Random blood sugar test -  इसमें किसी भी समय ब्लड सुगर टेस्ट किया जा सकता है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की आपने खाना आखिरी बार कब खाया था। 
    Result: 200 mg/dl या इससे अधिक डायबिटीज 
    • Fasting blood sugar test - लगभग 8-12 घंटे तक खाना न खाने के बाद ब्लड सुगर टेस्ट किया जाता है।
    Result: 100 mg/dl से कम  सामान्य (Normal) 
    Result: 100 से 125 mg/dl के बीच  प्रीडायबिटिक
    Result: 126 mg/dl या इससे अधिक  डायबिटीज
    • Oral glucose tolerance test - इसमें आपको एक शर्करायुक्त पेय (Sugery drink) पिलाया जाता है और इसके 2 घंटे बाद सुगर टेस्ट किया जाता है। 
    Result: 140 mg/dl से कम  सामान्य (Normal)
    Result: 140 से 199 mg/dl के बीच  प्रीडायबिटिक
    Result: 200 mg/dl या इससे अधिक  डायबिटीज
    • Serum acetone (ketones) test - इसमें कीटोन बॉडी की जांच की जाती है। 

    डायबिटीज का उपचार - Diabetes Treatment in Hindi



    मेडिकल मैनेजमेंट - Medical Management

    डायबिटीज के लिए किये जाने वाले मेडिकल मैनेजमेंट निम्न है:
    • इंसुलिन गतिविधि को सामान्य करना, डायबिटीज के उपचार के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य है। 
    • रोगी को प्रतिदिन 3-4 बार इन्सुलिन के इंजेक्शन देना, इंसुलिन पंप थैरेपी और ब्लड ग्लूकोज़ लेवल की जाँच करना। 
    • रोगी के पोषण का खयाल रखना, एक्सरसाइज करने के लिए कहना, और रोगी को हेल्थ एजुकेशन देना। 

    दवा द्वारा उपचार - Pharmacological Management

    सभी प्रकार की डायबिटीज के लिए उपचार अलग-अलग होता है। 

    For Type 1 Diabetes Mellitus:

      Insulin Action Examples
      Rapid-acting insulin Start work within 15 minutes and its effects till 3 to 4 hours insulin aspart (NovoLog, FlexPen, Fiasp)
      Short-acting insulin Start work within 30 minutes and its effects till 6 to 8 hours Humulin and Novolin
      Intermediate-acting insulin Start work within 1 to 2 hours and its effects till 12 to 18 hours insulin isophane (Humulin N, Novolin N)
      Long-acting insulin Start work within few hours and its effects till 24 hours to more insulin degludec (Tresiba)

      For Type 2 Diabetes Mellitus:

      आहार और व्यायाम कुछ लोगों को टाइप 2 डायबिटीज के उपचार में मदद कर सकता हैं। यदि जीवनशैली (Lifestyle) में परिवर्तन आपके ब्लड ग्लूकोज़ को कम करने के लिए पर्याप्त नहीं है, तब इसके लिए आपको दवा लेने की आवश्यकता पड़ सकती है।

      Drugs Type Action Examples
      Alpha-glucosidase inhibitors Slow the process of breakdown of body suger & starchy food Acarbose and miglitol
      Glucagon-like peptides Encourages the release of insulin from the pancreas Exenatide (Byetta, Bydureon), Albiglutide (Tanzeum)
      Biguanides Reduce glucose amount Metformin
      DPP-4 inhibitors Destroys the hormone incretin. Incretins help the body produce more insulin only when it is needed Linagliptin (Tradjenta), saxagliptin (Onglyza), and sitagliptin (Januvia)
      Meglitinides Stimulating the release of insulin in the presence Nateglinide (Starlix) and repaglinide (Prandin)
      Sulfonylureas Stimulate pancrease for more insulin Amaryl (Glimepiride), Daonil (Gilbenclamide)


        For Gestational Diabetes:

        इसमें गर्भावस्था के दौरान दिन में कई बार अपने ब्लड शुगर के लेवल की निगरानी करने की आवश्यकता होती है। यदि ब्लड शुगर लेवल ज्यादा है तब आहार परिवर्तन और व्यायाम करना चाहिए। 
        Mayo clinic के अनुसार, गर्भावस्था में डायबिटीज से पीड़ित लगभग 10 से 20 प्रतिशत महिलाओं को अपने ब्लड शुगर को कम करने के लिए इंसुलिन की आवश्यकता होती है। (गर्भावस्था में इन्सुलिन लेना बच्चे के लिए बिलकुल सुरक्षित है) 
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