
नेफ्राइटिस क्या है? - Nephritis in Hindi
- नेफ्राइटिस = नेफ्रोन + आइटिस, यहा नेफ्रोन का अर्थ किडनी से है. आइटिस = Inflammation = प्रदाह
- नेफ्राइटिस को आम बोलचाल की भाषा में किडनी की सूजन कहा जा सकता है लेकिन सही रूप में इस शब्द का अर्थ किडनी की प्रदाह है। (प्रदाह = Inflammation)
- जब किसी स्थान पर प्रदाह होती है तो वहा ये चिन्ह देखे जा सकते है: तापमान में वृद्धि, लालिमा, सूजन, दर्द। अर्थात नेफ्राइटिस का अर्थ यह है की किडनी में ये सभी चिन्ह देखे जा सकते है।
- किडनी की इस समस्या को शुरूआती समय में एक्यूट नेफ्राइटिस कहा जाता है लेकिन लम्बे समय के बाद यह क्रोनिक नेफ्राइटिस का रूप ले लेती है।
- यदि क्रोनिक नेफ्राइटिस के समय भी अगर इलाज न कराया जाये तो यह समस्या किडनी के फेल होने का कारण बन सकती है जिसे मेडिकल भाषा में ब्राइट रोग (Bright's Disease) कहा जाता है।
नेफ्राइटिस की परिभाषा - Definition of Nephritis in Hindi
नेफ्राइटिस एक ऐसी मेडिकल स्तिथि है जिसमें किडनी की कार्यात्मक इकाई (Functional unit) नेफ्रोन में प्रदाह (Inflammation) होने लगती है।
नेफ्राइटिस के प्रकार - Nephritis Types in Hindi
- इंटरस्टिशियल नेफ्राइटिस (Interstitial nephritis) - किडनी के इंटरस्टीशियल जगह (Space) में जहा इंटरस्टीशियल द्रव (Fluid) भरा रहता है उस स्थान में सूजन आ जाती है जिससे नेफ्राइटिस की समस्या हो जाती है। किडनी में इंटरस्टीशियल जगह दो नेफ्रोन की ट्यूबुल्स के बीच की जगह या नेफ्रोन ट्यूबुल्स और पेरिट्यूब्युलर कैपिलरी के बीच की जगह को कहा जाता है।
ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस (Glomerulonephritis) - किडनी के अंदर ग्लोमेरुलर कैपिलरी (ग्लोमेरुलस) में सूजन आने लगती है जिससे ये किडनी में खून को छानने का काम सही से नहीं कर पाती है।
- पायलोनेफ्राइटिस (Pyelonephritis) - सामान्यतौर पर यह किसी बैक्टीरियल संक्रमण से होता है। ज्यादातर मामलो में ये संक्रमण पहले मूत्राशय (Bladder) में होता है बाद में संक्रमण आगे बढ़ता हुआ मूत्रवाहिनी (Ureter) से किडनी तक पहुँच जाता है जिससे किडनी में सूजन आने लगती है।

किडनी में सूजन के लक्षण - Symptoms of Nephritis in Hindi
किडनी में सूजन (नेफ्राइटिस) के लक्षण नेफ्रैटिस के प्रकार के आधार पर अलग-अलग होते है, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार है :
- पेल्विस में दर्द (पेट के नीचे वाला भाग)
- मूत्र करते समय जलन व दर्द महसूस होना
- मूत्र के रंग में बदलाव आना (Cloudy urine)
- थोड़े-थोड़े समय बाद पेशाब आना
- पेशाब में खून या पस (मवाद) आना
- पेट और किडनी के आस-पास दर्द होना
- शरीर में सूजन आना, आमतौर पर चेहरे और पैरों में
- मतली और उल्टी आना (Nausea & Vomiting)
- बुखार आना
- ब्लड प्रेशर का बढ़ना
किडनी में सूजन के कारण - Cause & Risk Factors of Nephritis in Hindi
कारण - Causes
नेफ्राइटिस के तीनो प्रकारो के कारण भी अलग-अलग होते है :
1. इंटरस्टिशियल नेफ्राइटिस (Interstitial nephritis) - इस प्रकार का नेफ्राइटिस किसी दवा या एंटीबायोटिक लेने से होने वाले एलर्जिक रिएक्शन से हो सकता है। यह तब हो सकता है जब डॉक्टर द्वारा दी गई दवा हमारे शरीर पर विपरीत प्रभाव (Adverse Effect) कर जाये।
इसका दूसरा कारण आपके खून में पोटेशियम की कमी भी हो सकता है।
2. ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस (Glomerulonephritis) - इस प्रकार के नेफ्राइटिस का वास्तविक कारण अभी तक पता नहीं चला है। लेकिन कुछ कारण हो सकते है जो किडनी में संक्रमण को बढ़ावा दे सकते है :
- प्रतिरक्षा तंत्र की समस्या (Problems of immune system)
- शरीर के अंदर किसी फोड़े (Abscess) का फूटना और खून के माध्यम से किडनी तक पहुंचना
कुछ अन्य कारण भी है जिससे पायलोनेफ्राइटिस होने की सम्भावना हो सकती है :
- मूत्राशय (Bladder), किडनी, या मूत्रवाहिनी (Ureter) की सर्जरी के समय इन्फेक्शन होने से
- किडनी में स्टोन बनने से (यह भी पढ़े : किडनी स्टोन क्या है?)
जोखिम कारक - Risk Factors
- पारिवारिक इतिहास (Family History) - यदि परिवार में पहले किसी को यह समस्या है तो आगे आने वाली पीढ़ियों में भी यह समस्या हो सकती है।
- प्रतिरक्षा तंत्र का रोग (Disease of Immune system) - जैसे ल्यूपस (Lupus)
- हाल ही में मूत्र पथ (Urinary Tract) की सर्जरी से - यदि सर्जरी के समय स्वछता (hygiene) नहीं रखी जाये।
- ज्यादा मात्रा में एंटीबायोटिक्स और पैनकिलर दवाईयां लेने से
किडनी में सूजन का निदान/परिक्षण - Diagnosis of Nephritis in Hindi
- शारीरिक परिक्षण (History collection & Physical examination) - इसमें डॉक्टर या नर्स आपसे आपकी पिछली मेडिकल जानकारी के बारे में पूछते है। इससे यह पता लग पाता है की कही नेफ्राइटिस का खतरा कितना बढ़ गया है।
- लैब टेस्ट (Lab test) - इसमें रोगी के मूत्र का विश्लेषण (Urinalysis) किया जाता है। पेशाब में खून, बैक्टीरिया, डब्ल्यूबीसी (WBC) की उपस्तिथि का पता लगाया जाता है।
- रक्त जांच (Blood test) - इसमें रोगी व्यक्ति के रक्त में उपस्थित क्रिएटिनिन (Creatinine) और यूरिया-नाइट्रोजन (Blood urea nitrogen) की जांच की जाती है। खून में इनकी उपस्थिति किडनी के संक्रमण (नेफ्राइटिस) की तरफ संकेत करती है।
- सीटी स्कैन (CT-Scan) - इसमें शरीर के अंदर की तस्वीरें निकली जाती है, जिससे किडनी में किसी भी प्रकार के ब्लॉकेज व संक्रमण को देखा जा सकता है।
- अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) - इसमें एक डिवाइस को रोगी की स्किन पर फेरा जाता है जिससे शरीर के अंदर के अंगो की तस्वीरें ली जाती है।
- रीनल बायोप्सी (Renal biopsy) - इसमें एक नीडल (सुई) को किडनी तक पहुंचाया जाता है और एक छोटा सा टुकटा सैंपल के रूप में निकाल कर उसकी माइक्रोस्कोप के द्वारा जांच की जाती है।
किडनी की सूजन का उपचार - Nephritis Treatment or Management in Hindi
नेफ्रैटिस का उपचार इसके प्रकार के अनुसार भिन्न हो सकते हैं।
दवा द्वारा उपचार - Pharmacological Management
- एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) - बैक्टेरियल संक्रमण को खत्म करने के लिए, यदि संक्रमण बहुत ज्यादा है तो इसे इंजेक्शन के रूप में सीधे नसों (Intravenous) में दिया जाता है।
- कोर्टिकोस्टेरोइड (Corticosteroid) - यह इंफ्लामेशन (दर्द, सूजन, लालिमा) को कम करने की असरदार दवा है। यह तब दी जाती है जब किडनी में बहुत अधिक इंफ्लामेशन हो।
बिना सर्जरी द्वारा उपचार - Non surgical Management
- डायलिसिस (Dialysis) - जब किडनी अधिक इंफ्लामेशन के कारण काम करना बंद कर दे तब ऐसी स्तिथि में खून को फ़िल्टर करने के लिए डायलिसिस का सहारा लिया जाता है। (यह भी पढ़े : डायलिसिस क्या है?)
डॉक्टर द्वारा रोगी को कम नमक, प्रोटीन और कम पोटेशियम युक्त भोजन लेने की सलाह दी जाती है।
किडनी में सूजन के बचाव के उपाय - Nephritis Prevention in Hindi
- अपने जननांगो (Gonads) की नियमित रूप से साफ़-सफाई रखे पायलोनेफ्राइटिस के खतरे से बचा जा सके।
- अपने खाने में सोडियम की मात्रा कम रखे, खासतौर पर जब आपको हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत हो।
- अपने वजन को सामान्य रखे और नियमित रूप से व्यायाम करे।
- मासिक धर्म के समय महिलाओं को सेनिटरी पैड या टेम्पोन का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे जननांगो के आस-पास बेक्टेरिया न पनपे और पायलोनेफ्राइटिस के खतरे से बचा जा सके।